10 जुलै यौमे वफात➡️ जंग ए आज़ादी के क़द्दावर नेता, और बिहार राज्य के दूसरे मुस्लिम मुख्यमंत्री रहे अब्दुल ग़फ़ुर साहेब को यौम ए वफात पर ख़िराज ए अक़ीदत 🌹

 10 जुलै यौमे वफात➡️

जंग ए आज़ादी के क़द्दावर नेता, और बिहार राज्य के दूसरे मुस्लिम मुख्यमंत्री रहे अब्दुल ग़फ़ुर साहेब को यौम ए वफात  पर ख़िराज ए अक़ीदत 🌹

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🟪 बिहार के एकमात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री


🟧 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल ग़फ़ूर साहेब ने पूरा जीवन गरीबों के उत्थान और साम्प्रदायिक सद्भाव में लगा दिया 


🟩वह बिहार के एक मात्र मुस्लिम नेता हैं जो राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे.


🟧अब्दुल गफ़ूर बतौर मुख्यमंत्री 2 वर्षों तक रहे. वह 2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक बिहार के सीएम रहे।. 1984 मे कांग्रेस के टिकट पर सिवान से जीत कर सांसद बने और वे 1984 के राजीव गांधी सरकार  का अलग खेमा था.  वह इससे पहले  नगर विकास विभाग मंत्री भी रहे .


अब्दुल गफ़ुर  साहेब पहली बार 1952 मे बिहार विधान चुनाव मे जीत कर विधायक बने और वे बिहार विधान परिषद् के अध्यक्ष भी रहे.


 🟡18 मार्च 1918 मे बिहार के गोपालगंज ज़िला के सराए अख़तेयार के एक इज़्ज़तदार ख़ानदान मे पैदा हुए अब्दुल गफ़ुर साहेब बचपन से ही मुल्क के लिए कुछ करना चाहते थे. गोपालगंज से ही इबतदाई तालीम हासिल की फिर आगे पढ़ने के लिए पटना चले आए, पढने मे तेज़ तो थे ही इसलिए घर वालों ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी भेज दिया जहां से आपका सियासी सफ़र शुरु हुआ.


🟣 *अब्दुल गफूर साहेब हिन्दुस्तान को आज़ाद कराने का जज़्बा लिए जंगे आज़ादी मे कूद पड़े जिस वजह कर सालो जेल मे रहना पड़ा*. 


🔵 *अब्दुल गफ़ूर साहेब ने जिन्ना की टु नेशन थेयोरी को ठुकरा दिया और अखंड भारत की तरफदारी की*,


🟢 फिर देश आज़ाद हुआ तो 1952 मे बिहार विधान चुनाव मे जीत कर विधायक बने फिर 2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक बिहार के सीएम रहे। केंद्र मे मंत्री भी बने फिर आखि़रकार लम्बी बिमारी से लड़ते हुए 10 जुलाई 2004 को पटना मे इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया.


अब्दुल ग़फ़ूर साहेब को उनके गांव सराए अख़तेयार मे दफ़नाया गया।

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संदर्भ -Md umar ashraf

Heritagetimes

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संकलन  *अताउल्ला पठाण सर*

  *टूनकी तालुका संग्रामपूर*

 *बुलढाणा महाराष्ट्र*

9423338726

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